News: जानिए बेटियों को लेकर क्या कहता है कानून?
News: जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में लड़कियों के शादी के बाद लड़कियों का मायके पर कोई भी हक नहीं होता है ना ही प्रॉपर्टी पर और ना ही वहां पर रखे उनके किसी भी सामान पर।
Report by Supriya Suraj Gupta, jabalpur.
News: हम सभी जानते हैं कि हमारे भारत देश में लड़कियों के लिए ना तो मायके में प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी मिलती थी और ना ही ससुराल में मिलती थी।
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News: जैसा कि हम सभी बचपन से सुनते आए हैं और जानते भी हैं की लड़कियों की शादी के बाद अगर प्रॉपर्टी पर किसी भी का हिस्सेदारी बनती है तो वह सिर्फ भाई होते हैं।
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News: हमारे देश और हमारे देश में पहले कानून और परिवार वालों की सोच दोनों ही लड़कियों के लिए अच्छी नहीं थी, कानून भी नहीं मानता था की लड़कियों का मायके पर कोई हक बनता है। हालांकि अभी भी कुछ परिवार ऐसे हैं जो यह मानते हैं कि घर परिवार वाले भी लड़कियों को उनका हक कभी देना ही नहीं चाहते; और अगर लड़कियां गलती से अपना हक मांग ले तो घर वाले उनसे रिश्ता ही तोड़ देते हैं। इसीलिए लड़कियां कभी ना तो अपने मां-बाप से ना ही अपने भाइयों से अपने हिस्सेदारी की मांग करती है।
News: पहले हमारे देश में लड़कियों को मायके की संपत्ति में कोई हक नहीं बनता था, लेकिन 2005 में लड़कियों के लिए नए कानून का निर्वहन किया गया; जिसके बाद बेटियों का भी हक उनके मां-बाप की संपत्ति पर होता है।
News: लड़कियों की शादी होने के बाद लड़कियां अपने नए घर को बसाने के चक्कर में यह भूल जाती है कि वह अपने मां-बाप के घर में भी सहयोगी है या फिर जब घर की हिस्सेदारी हो रही है तो वह अपना हिस्सा मांगे, लेकिन! सबसे बड़ी बात यह है कि जब उन्हें यह याद आता है; तब क्या उनके पास यह हक होता है कि वह हिस्सेदारी मांग सके। आइए जानते हैं कि बेटियों के पास कानून के मुताबिक कितने साल बचे हैं की शादी के बाद वह अपना हक ले सके?
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News: साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत लड़कियों को उनके मायके में हिस्सेदारी मिलने का अधिकार मिला है, लेकिन! इसके पूर्व यह उन लड़कियों के लिए था, जिनकी शादी नहीं हुई थी। अगर लड़की की शादी हो जाती है तो उनका उनके मां-बाप के जमीन या फिर किसी भी चीज में कोई हिस्सेदारी नहीं मिल सकती थी। कह सकते हैं कि उनका उनके मां-बाप के संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता था। यह अधिकार सिर्फ उन लड़कियों को मिल सकता था, जिनकी शादी नहीं हुई थी।
News: लेकिन साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून में हुए संशोधन के बाद बेटियों की शादी के बाद भी उनके माता-पिता की संपत्ति में अधिकार मिलेगा, अगर बेटी शादीशुदा भी है तो वह अपने मां-बाप से अपनी प्रॉपर्टी पर हिस्सा ले सकती है और यह कह सकते हैं कि इस नए कानून के तहत मां-बाप की प्रॉपर्टी में हमेशा बेटी का हक रहेगा, वह जब चाहे तब अपना अधिकार ले सकती है।
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News: भारत में हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत प्रॉपर्टी को दो भागों में बांटा गया है पहले पिता का हिस्सा और दूसरा स्वयं अर्जित किया हुआ संपत्ति पिता का हिस्सा वह होता है जो हमारे देश में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है इस पर बेटे और बेटी दोनों का जन्म से अधिकार होता है लेकिन अगर पिता स्वयं अर्जित किया हो मतलब उसने खुद यह कमाया हो तो उसे पर किसी का भी जन्मसिद्ध अधिकार नहीं होता है
News: इस संपत्ति पर सिर्फ और सिर्फ पिता का हक होता है पिता चाहे तो पूरी संपत्ति अपने बेटे को या फिर पूरी संपत्ति अपनी बेटी के नाम कर सकता है उसमें या फिर वह चाहे तो उन दोनों में बराबर बांट सकता है अगर पिता प्रॉपर्टी का बंटवारा नहीं कर पाता और उसकी मृत्यु हो जाती है तो ऐसे में बेटा और बेटी दोनों को संपत्ति में कानूनी अधिकार मिलेगा
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News: अगर पिता अपनी प्रॉपर्टी का हिस्सा नहीं करता है और उनका निधन हो जाता है तो उस प्रॉपर्टी पर बेटी और बेटे दोनों का बराबर हक होता है। अगर बेटी चाहे तो अपना हक आसानी से ले सकती है, कानून के माध्यम से अगर भाई नहीं देना चाहता है तो भी वह अपना हक ले सकती है।